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जुदाई गीत-4 / तेजी ग्रोवर
Kavita Kosh से
तेरे सपने में थोड़े हूँ पगली
मैं तो बैठा हूँ
टाट पर
सजूगर
अचार भरी उँगलियाँ चाटता हुआ
मैं टाट पर थोड़े हूँ
झूलती खाट में
सो रहा हूँ तेरे पास
इतने पास
कि मेरा पेट गुड़गुड़ाया
तो मैंने सोचा मेरा है
भोर तक यहीं हूँ
तू साँस छोड़ेगी
तो भींज उठेगी मेरी कोंपलें
मेरी खुरदुरी उँगलियाँ
नींद की रोई तेरी आँखों पर
काँप-काँप जाएँगी
और तू
झपकी भर नहीं जगेगी रात में
मैं जा रहा हूँ पगली
तेरे खुलने से पहले
उजास में घुल रही है मेरी आँख
छोना मटका तो मान लेना
मैं आया था
घोर अँधेरे तपते तीर की तरह आया था
रात भर प्यासा रहा