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वहाँ
शिखर पर
थरथरा हैं पत्तियाँ
जैसे काँप रही हों हवा में
या हो सकता है
आ बैठा हो कोई पक्षी
उनकी छाया में
कोमल टहनियों की यह
अनायास धुकधुकी
आतंक और आवेश से
काँपता है मेरा मन
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
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वहाँ
शिखर पर
थरथरा हैं पत्तियाँ
जैसे काँप रही हों हवा में
या हो सकता है
आ बैठा हो कोई पक्षी
उनकी छाया में
कोमल टहनियों की यह
अनायास धुकधुकी
आतंक और आवेश से
काँपता है मेरा मन
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय