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तुम्हारा हाथ / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत
Kavita Kosh से
मैं लहरों से खेल रहा हूँ
खड़ी हो तुम किनारे पर
मैं पुकार रहा हूँ तुम्हें
तब भी तुम बहुत दूर !
लहरें आ रही थी
जा रही थी
अचानक आई
एक खतरनाक लहर
दम घुटा
फिसल गई पैरों तले की रेत
केवल तुम्हारा धुन्धला-सा चेहरा
तैरता रहा आँखों के आगे
लहर लौट चुकी थी
कस कर पकड़े मेरा हाथ
खड़ी तुम, किनारे पर।
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत