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तुम्हारे ख्वाब अनबोले हुए हैं / रंजना वर्मा
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					तुम्हारे   ख्वाब   अनबोले  हुए  हैं 
नयन की खिड़कियाँ खोले हुए हैं 
हमारी कल्पनाओं  में  तुम्ही हो
तुम्ही पर भाव सब डोले हुए हैं 
हमें दो घूँट जल की है तमन्ना
मगर वो आग के गोले  हुए हैं 
हुई जाती हैं हिम जैसी उमीदें
यहाँ बदले सभी  चोले  हुए हैं 
नहीं वादा निभाना जानते जो
वही तो आज  बड़बोले हुए हैं  
गुलों पर अब नहीं आते हैं भँवरे
फ़िज़ाओं  ने  जहर  घोले  हुए हैं 
भला कैसे निभे अब साथ अपना
तुम्हारे ख्वाब  सब  शोले  हुए  हैं
	
	