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तुम्हारे नाम / देवेन्द्र कुमार
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यह अनजान हवा के झोंके
बहकी बहकी शाम
तुम्हारे नाम
रात रात भर सपने आते
कुछ उनके
कुछ अपने आते
कुछ में प्रियवर
कुछ में सादर
कुछ में महज प्रणाम
हरियर सुग्गे
कोयल काली
लदी फँदी फूलों की डाली
खोई खोई-सी शेफ़ाली
व्यर्थ हुए बदनाम
लँगड़े-लूले
बहरे-अन्धे
लगते सब जुलूस के कन्धे
हर आँसू
हर सांस दरिन्दे
मारे गए गुलफ़ाम