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त्रिकाल दीक्षा / दिनेश कुमार शुक्ल

त्रिकाल दीक्षा
पक्षियों को
बताती रहती है हवा
अपने सुख-दुख

मछलियाँ जानती हैं
जल की
एक-एक भंगिमा

धरती के हृदय में रहते हैं
धरती के मन की
गहरी से गहरी
बातें जानते हैं सर्प

हम, समय में
जीवित रहने वाले जीव-
समय हमें क्यों नहीं
बताता अपना मर्म,
हमें दीक्षा क्यों नहीं देता
वह त्रिकाल की