भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीवार पर / वास्को पोपा / सोमदत्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अरसा हुए
पिघली थी पहली सफ़ेदी

काल की झुर्रियाँ
फैल गईं
बगरे उजाड़ में

एक क्वाँरा खेत

अर्थहीन रूपाकार
छिपा
अजरज के कम्बल में

एक अखेला खेल
शतानन अतिशयता
शाश्वत चरोखर में

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त