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दुश्मन / प्रीत में है जीवन
Kavita Kosh से
रचनाकार: आरजू लखनवी , गायक:के.एल.सहगल |
प्रीत में है जीवन जोखों, कि जैसे कोल्हू में सरसों
प्रीत में है जीवन जोखों..
भोर सुहानी चंचल बालक, लरकाई (लडकाई) दिखलाये
हाथ से बैठा गढे खिलौने,पैर से तोडत जाये..
वो तो है, वो तो है, एक मूरख बालक,तू तो नहीं नादान
आप बनाये आप बिगाडे, ये नहीं तेरी शान