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दूर सबसे जा रहा वह आजकल / मृदुला झा
Kavita Kosh से
दूर सबसे जा रहा वह आजकल
कौन देता है उसे शह आजकल।
झूठ का व्यापार सब करने लगे
क्या तमाशा हो रहा यह आजकल।
अपने लोगों से मिली दुशवारियां
बेटियां उसको रही सह आजकल।
हैं बहुत शिकवा शिकायत अपनों से
प्रेम का मंदिर रहा ढह आजकल।
हैं दिलों की दूरियां जबसे बढ़ी
दांव दुश्मन के रहे सह आजकल।