भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो बहनें / कविता कानन / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रहतीं दो बहनें
सुबुद्धि और कुबुद्धि
मानव के घर ।
दोनों ही विपरीत
एक दूसरी से
सुबुद्धि
शांत , सहज
प्रसन्नचित्त
सुखदायिनी
कुबुद्धि
अशांत , असहज
कलहकारिणी
कष्ट प्रसूता ।
किसका
सम्मान करें मानव ?
सम्मान करें
सुबुद्धि का
तो सुखी हो
कुबुद्धि को मान दे
तो वह
बुहार कर फेंक दे
घर की सारी समृद्धि
बना दे दरिद्र
दिलाये अपमान ।
चाहिये
सद विवेक ।
यदि चाहते हो
सुख शांति
सदैव साथ दो
प्रिय सुबुद्धि का ।