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नाचै मोर / भवप्रीतानन्द ओझा

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कदम रॅ डार चढ़ी बोलै कोयलिया
कि वहीं तरें बाजै, बाजै बसुंरिया
कि तही तरें।
गरजी बरसै मेघा चमकै बिजुलिया
कि नाचै मोरा खोली पूंछ के टिकुलिया
कि नाचै मोरा।
भौंरा गुंजरै चुमी नव फूल कलिया
कि मँह मँह करै चम्पा चमेलिया
कि महँ महँ।
भबप्रीता हदि नाचै राधा अलबेलिया
कि संग लये, नाचै मोहन समलिया
कि संग लये।