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नायिका की गणना / रस प्रबोध / रसलीन

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नायिका की गणना

इक सुकिया द्वौ परकिया सामान्या मिलि चारि।
अष्ट नायिका मिलि सोई बत्तिस होत बिचारि॥489॥
उत्तमादि सों मिलि वहै पुनि छियानबे होत।
पुन चौरासी तीन सैं पदुमिनि आदि उदोत॥490॥
तेरह सै बावन बहुरि दिव्यादिक के संग।
यौ गनना में नायिका बरनी बुद्धि उतंग॥491॥

नायिका की गणना: भरत के मत से

सुकिया तेरह भाँति पुनि परकीया द्वै नारि।
सामान्या मिलि ये सकल सोरह भेद विचारि॥492॥
अष्ट नायिका मैं गुने सत अट्ठाइस जानि।
पुनि चौरासी तीनि सै उत्तमादि मिलि मानि॥493॥
तेरह सै बावन बहुरि दिव्यादिक के संग।
यौ गनना मैं नायिका बरनी बुद्धि उतंग॥494॥