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निश्चिति / महेन्द्र भटनागर

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तय है कि

तू

एक दिन

मृत्यु की गोद में

मौन
सो जायगा !


तय है कि

तू

एक दिन

मृत्यु के घोर अँधियार में

डूब
खो जायगा !


तय है कि

तू

एक दिन

त्याग कर रूप श्री

भस्म में सात्
हो जायगा !