भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पद 57 से 70 तक/पृष्ठ 1
Kavita Kosh से
57
अहल्योद्धार
.राग सूहो
रामपद-पदुम-पराग परी |
ऋषितिय तुरत त्यागि पाहन-तनु छबिमय देह धरी ||
प्रबल पाप पति-साप दुसह दव दारुन जरनि जरी |
कृपासुधा सिँचि बिबुध-बेलि ज्यौं फिरि सुख-फरनि फरी ||
निगम-अगम मूरति महेस-मति-जुबति बराय बरी |
सोइ मूरति भै जानि नयनपथ इकटकतें न टरी ||
बरनति हृदय सरुप, सील गुन प्रेम-प्रमोद-भरी |
तुलसिदास अस केहि आरतकी आरति प्रभु न हरी? ||