रात को अँधेरे में डूब जाती हैं पहाड़ियाँ ।
क्या उस वक़्त पहाड़ियाँ
होती हैं गहरी नींद में !
नहीं, कभी नहीं सोती पहाड़ियाँ ।
लेटे-लेटे वे दुलारती हैं
अपनी वनस्पतियाँ,
उठाकर अपने हाथ,
जो हमें दिखाई नहीं देते !
रात को अँधेरे में डूब जाती हैं पहाड़ियाँ ।
क्या उस वक़्त पहाड़ियाँ
होती हैं गहरी नींद में !
नहीं, कभी नहीं सोती पहाड़ियाँ ।
लेटे-लेटे वे दुलारती हैं
अपनी वनस्पतियाँ,
उठाकर अपने हाथ,
जो हमें दिखाई नहीं देते !