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पैर / वीरा
Kavita Kosh से
पैर आदत में होते थे
पहले कभी
जब भी चलते थे
पैर यात्रा में हुए
जब भी
दूसरों तक पहुँचे थे
पैर मंज़िल पर होते हैं
अब
तुम तक आते हैं जब