भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बच्चों की दुनिया में / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
न कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती चले ।
बच्चों की दुनिया में मस्ती चले ।
सुन लो जी, सुन लो जी
बात ये हमारी
डाँट-डपट सब की सब
बच्चों से हारी
बच्चों पर बच्चों की मरज़ी चले ।
न कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती चले ।
आँखें दिखाना न
रौब अब दिखाना
न ही झूठी-मूठी
धौंस अब जमाना
डंडा चले न जी, धमकी चले ।
प्यार भरी मीठी पप्पी चले ।