भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बज़्म में जिक्र आम होता है / अश्वनी शर्मा
Kavita Kosh से
बज़्म में ज़िक्र आम होता है
आदमी क्यों गुलाम होता है।
जो हों पुरी तो हसरतें क्या हैं
यूं ही जीवन तमाम होता है।
तब्सिरा ज़िन्दगी पर पे देते हैं
जब भी हाथों में जाम होता है।
वक्त बिगड़ैल एक घोड़ा है
आदतन बेलगाम होता है।
जिसको हासिल हुआ उसे पूछो
एक किस्सा अनाम होता है।
मुफलिसी के तमाम किस्से हैं
एक फक्कड़ निजाम होता है।
ज़िन्दगी हार के वो कहते हैं
जीत का ये ईनाम होता है।