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बड़ी दुख देलके ई घुसखोर बेमनमा / भवप्रीतानन्द ओझा
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घुसखोरी
बड़ी दुख देलके ई घुसखोर बेमनमा
बड़ी दुखकृ
धान चावल मिलै नांही
गेहूँ भेल सपनमा,
एक टकाम खेंसारी मिलै
सेहो दस कनमा
बड़ी दुख...
नहीं मिले धोती-सारी,
सिलिक भेल सपनमा,
चौदह आना गज मिले मोटका मारकिनमा
बड़ी दुख...
भवप्रीता कहै हरि आबै जब शमनमा,
राधा संगे आबी दीहा अन्तें दर्शनमा
बड़ी दुख...