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बरसों ख़ुद से रोज ठनी / विज्ञान व्रत
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बरसों ख़ुद से रोज़ ठनी
तब जाकर कुछ बात बनी
वो दोनों हमराह न थे
पर दोनों में खूब छनी
घटना उसके साथ घटे
और लगे मुझको अपनी
इतने दिन बीमार रहा
ऊपर से तनख़ा कटनी
उसने ख़ुद को ख़र्च किया
और बताई आमदनी