Last modified on 3 अगस्त 2020, at 23:56

बाईसवीं सदी / एस. मनोज

मैं बाईसवीं सदी में
बिलकुल अकेला
नहीं नहीं बिलकुल अकेला नहीं
शवों के बीच बेजान पड़ा हूँ
शवों के बीच
हाँ हाँ शवों के बीच।
शव इतिहास का
शव भूगोल का
शव साहित्य का
शव संस्कृति की
शव धर्म का
शव न्याय का
शव नैतिकता की
शव आचरण का
शव मानवता की
शवों के बीच
शव के समान
बिलकुल बेजान।
हाँ हाँ मैं बाईसवीं सदी
का मानव हूँ।
बेजान, हृदयहीन
लाश के समान।