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बान्होॅ-बान्होॅ कन्हैया केॅ / राजकुमार
Kavita Kosh से
बान्होॅ-बान्होॅ, कन्हैया रोॅ गोड़ केॅ
फेनूँ भागल्हौं, मटुकिया ऊ फोड़ केॅ
एक तेॅ नैना कटार
दोसर मुस्की के मार
तेसरोॅ हाँसै छौं, बहियाँ मरोड़ केॅ
बान्होॅ-बान्होॅ, कन्हैया रोॅ गोड़ केॅ
तोरोॅ बेटा छौं चोर
दै छौं आगिन केॅ खोर
मोरपंखी नजरिया, छौं ओढ़ कॅे
बान्होॅ-बान्होॅ, कन्हैया रोॅ गोड़ केॅ
हियरा दै छौं हिलोर
कसक हुवै पोरे-पोर
देखोॅ भागल्हौं, बँसुलिया छोड़ केॅ
बान्होॅ-बान्होॅ, कन्हैया रोॅ गोड़ केॅ
धरी लीला रोॅ डोर
मैया यशोमति विभोर
‘राज’ पुलकित मन, पोंछै छै लोर केॅ
बान्होॅ-बान्होॅ, कन्हैया रोॅ गोड केॅ