Last modified on 16 फ़रवरी 2017, at 16:29

बिल्लो रानी, कहाँ चली / प्रकाश मनु

बिल्लो रानी, कहाँ चली,
कहाँ चली जी, कहाँ चली?
मैं जाऊँगी बड़े बजार,
खाऊँगी अब टिक्की चार।
सुना, वहाँ की चाट गजब है,
टिक्की का तो स्वाद अजब है।
लच्छूमल की दही-पापड़ी
खाऊँगी मैं थोड़ी रबड़ी।
फिर आऊँगी झटपट-झटपट,
आकर दूध पिऊँगी गटगट।