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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 4 / भिखारी ठाकुर

प्रसंग:

श्री कृष्णचन्द्र के जन्म पर उत्सवी सभा का वर्णन।

कीर्त्तन


अँगनइया में भीर भइल भारी।
शोभत बा सोहर सभ्य के गारी, झूम-झूम के बाजत बा थारी॥ अँगनइया में॥
दही-कादो से बोथाइल बा सारी, छर-छर चलत पिचकारी॥ अँगनइया में॥
परदा का भीतर से आवत नारी, करिके निज सवारी॥ अँगनइया में॥
चाहत निशदिन हरदम ‘भिखारी’, चरण कमल सरकारी॥ अँगनइया में॥