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भूख मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी / दिनकर कुमार
Kavita Kosh से
भूख मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी
उसके होंठ सूख चुके होंगे
और अंतड़ियों में ऐंठन
शुरू हो गई होगी
खाली बरतन आपस में
उदासी बाँट रहे होंगे
स्टोव के पास उपेक्षित पडा होगा
किरासन का खाली पीपा
अँधेरे में कोई आकृति
हिलती होगी
तो भूख की आँखों में
चमक आ जाती होगी
मैं जानता हूँ वह
कितनी निढाल हो गई होगी
आशा और निराशा के बीच
मुझे सोच रही होगी
मेरे लौटने पर
मुझसे लिपट जाएगी
जन्म-जन्मान्तर की प्रेमिका की तरह
आरंभ होगा अन्न का उत्सव