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मछली खा गई गप से / श्रवण कुमार सेठ
Kavita Kosh से
एक एक दाने चख कर
चींटी लाई शक्कर
चला हवा का झोका
चींटी ने भी रोका
हवा एक ना मानी
की ऐसी मनमानी
शक्कर चला लुढ़क कर
गिरा ताल में छप से
मछली खा गई गप से