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मज़दूर के घर में बोली / प्रमोद कुमार

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मज़दूर के घर में
कोई दुभाषिया नहीं रहता

आप सुनना भर जानते हों
तो दीवारों को ढहाती
बोली निकलेगी एक
आपको बुलाने

वहाँ दिन में बाहर की रोशनी अन्दर
और रात में अन्दर की
सड़क तक पहुँचती है
खन-खन


बोलियाँ आप को समझा देंगी
कि आप घर के अन्दर जाकर बतियाएँगे
या एक बड़ा
न खुल सकनेवाला ताला देख
बाहर से ही लौट जाएँगे ।