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मन रा पग / ओम पुरोहित कागद
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					मन री माया
जाणै मन
मन नै जाणै कुण?
निजरां रा
भरमाया पग
टोरै-थामै
मन रा पग।
पग हुवै नीं
हुवै पांगळौ मन
पण भाजै
दड़ाछंट।
 
	
	

