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महुए टपके / राम शरण शर्मा 'मुंशी'
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जामुन के पेड़ों पर
उतरी घटा —
फ़रेन्दे मह-मह महके !
अल्हड़ पुरवैया की
बाँकी छटा —
कि झोंके बहके-बहके !
झरझर-झरझर झड़ी —
टपाटप
महुए महके !
ऐसी अ...र...र...र... पड़ी —
फफोले
फूले-पटके !