भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माणस रो परस / ओम पुरोहित कागद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज भळै
जम’र होई बिरखा
पाणी रा बग्या बा’ळा
काळीबंगा री गळियां में
नीं आयो
भाज’र कोई टाबर
हाथां लियां
कागद री नाव
हवा ई ल्याई
उडाय’र
एक पान्नो
अखबार रो
थेड़ नै मिलग्यो
माणस रो परस।