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मिहरा बरसत वृन्दावन में / शिवदीन राम जोशी
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मिहरा बरसत वृन्दावन में |
तन राधा का मस्त लहरिया, भीगा मन मोहन में ||
छम-छम छम-छम पायल बाजे, चलत चाल श्रीराधे साजे |
धन्य-धन्य श्रीकृष्ण कलाधर शोभित शुभ नर तन में ||
मुरलीधर की मुरली बाजी, ग्वाल सखा ब्रज बाला राजी |
यमुना तट पर खड़ा सांवरा, बिजरी चमकत घन में ||
मौर पपैया दादुर बोले, भांति-भांति के पक्षी डोले |
हरी हरियाली, कोयल कूँकत बोले मधुर स्वरन में ||
शिवदीन मनोरम छटा निराली, जय-जय जय प्यारे बनमाली |
युगल छबि उर बसत हमारे, देखो इन नयनन में ||