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मुंह बाकी, जुबान बाकी है / अश्वनी शर्मा
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मुंह बाकी, ज़बान बाकी है
सफर बाकी, थकान बाकी है।
ज़िस्म ही ज़िस्म हो गया चाहे
रूह का फिर निशान बाकी है।
वायदा माफ है वो, खतरा है
अभी उसका बयान बाकी है।
जो हैं मौजूद, जी रहे होंगे
घुटी सी दास्तान बाकी है।
अभी बर्बाद कब हुई बस्ती
अधजला इक मकान बाकी है।
आसमां साज़िशें करे कितनी
हौसलों की उड़ान बाकी है।