मुरली राजत अधर पर उर विलसत बनमाल।
आय सोई मो मन बसौ सदा रंगीले लाल॥
सीस मुकुट कर मैं लकुट कटि तट पट है पीत।
जमुना तीर तमाल तर गो लै गावत गीत॥
वृज सुकुमार कुमारिका कालिन्दी के तीर।
गल बाँही दीन्हे दोऊ हँसत हरत भवपीर॥
मुरली राजत अधर पर उर विलसत बनमाल।
आय सोई मो मन बसौ सदा रंगीले लाल॥
सीस मुकुट कर मैं लकुट कटि तट पट है पीत।
जमुना तीर तमाल तर गो लै गावत गीत॥
वृज सुकुमार कुमारिका कालिन्दी के तीर।
गल बाँही दीन्हे दोऊ हँसत हरत भवपीर॥