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मेरे हालात पे हंसने वालो / डी. एम. मिश्र
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मेरे हालात पे हंसने वालो
फूल पैरों से कुचलने वालो
अपने हाथों की लकीरें देखो
बेसबब औरों से जलने वालो
शर्म भी अब नहीं आती होगी
बात से अपनी मुकरने वालो
मरज़ क्यों पाल लिए हो ऐसा
रात बिस्तर में तड़पने वालो
चाँद का भी मिज़ाज पढ़ लेना
रात को घर से निकलने वालो
काट सकता है कोई तुमको भी
ओ पतंग की तरह उड़ने वालो