भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं चाहूँगा / प्रदीप शुक्ल
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
मैं चाहूँगा
राजा, अपने यारों जैसा हो
महलों में
वो रहे मगर
कुटियों का दुख जाने
चतुर कुटिल मंत्री की
हरदम बात नहीं माने
बेईमान के
खातिर वो तलवारों जैसा हो
खुल कर
मन की बात कहे
हमको अच्छा लगता
कुछ बातों पर मौन मगर
सबको है अब खलता
चोर के साथ
सलूक न साहूकारों जैसा हो
देश मेरा
सोने की चिड़िया
भले न बन पाए
देखो मगर कबीरा की
चादर ना फट जाए
जुम्मन के
खातिर वो चाँद सितारों जैसा हो