भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मोक्ष / पंकज चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
काशी में मरकर
मिलता होगा मोक्ष
पर उज्जयिनी में जीते-जी
उज्जयिनी की माँग में
सिन्दूर भरता है
महाकाल