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मोन करइए / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
गंगामे भरि पोख
चुभकी
सहेजि ली
पानि के अंग-अंगमे।
मोन करइए-
आन्हरक आँखि
नांगरक पयर
बहिरक कान
आ बौकक कंठ बनि जाइ।