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मौन / रंजीता सिंह फ़लक
Kavita Kosh से
तुमने
जब से
मेरा बोलना
बन्द किया है
देखो
मेरा मौन
कितना चीख़ने लगा है
गूँजने लगी है
मेरी असहमति
और
चोटिल हो रहा है
तुम्हारा दर्प ।