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म्हनै आपरी थां कद जाणी / अशोक जोशी 'क्रान्त'

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म्हनै आपरी थां कद जाणी
जुग तो जाणी थां कद जाणी।

मन रा काळा तन रा उजला
पीड़ मांयली थां कद जाणी।

रेळौ रळिया रळ जावैला
आ! जि़ंदगाणी थां कद जाणी।

रंग-रस आछा रंग रा खेला
रंगत मन री थां कद जाणी।

फगत पगरखी जाण वापरी
घर री लिछमी थां कद जाणी।