भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रचना / शिवकुटी लाल वर्मा
Kavita Kosh से
सूर्य उदित हुआ
किसी बहुत बड़े नीले दोने में रखी हुई जलेबी
कृषकाय भूखी गर्भिणी प्रतिमा
किसी मरियल कुतिया-सी
उसकी ओर लपकी
और फिर इतनी मार खाई
कि रचना गर्भ में ही मर गई।