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राँगल नयका बिहान / जयराम दरवेशपुरी

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छितिज के छोरवा में
छिटकल सेनुरवा से
रूत-रूत धरती के माँ
लोटऽ हइ पथरिया में
ललकी किरिनियाँ से
बगिया में उतरल बिहान

सउँसे बंसबिटिया में
चहकइ चिरइयाँ से
गछिया में भेलइ अनोर
चूड़ी संग बढ़नी के
खुर-खुर अवजिया से
अँगिया ओसरवा में सोर
उड़ि उड़ि छपरा पर
कउआ गोदाल करइ
कुइयाँ पनभरनी के गान

चुह-चुह हरियर
सोभऽ हइ बधरिया कि
तुन-तुन बलिया के ठोर
तोरे-मेहनतिया से
रज-गज धरती हइ
तोरे पर देशवा इंजोर
ठीक दोपहरिया में
टप्-टप् पसेनमां से
राँगऽ हा तू खेत खरिहान
पंचम सुर गावे
डीजल पम्पसेटवा कि
रेहट मचावे जुदे शोर
झूमऽ हइ खेतवा में
गदरल सितवा कि
पुरवा बयरिया हिलोर
लोहरा के भथिया में
धिपि पजि हँसुआ कि
मने मन कुरचइ किसान
चर चुर घर आवे
गाय बैल भैंसिया जे
ममता से रहल डोंड़ाय
पोखरी में धोइ-धाई
लइलक बथनियाँ से
थोथुना लगइत गेल पेन्हाय
अमरित धार गिरे
धम्-धम् टेहरिया में
लेरूआ करइ तोड़-फान

जुग-जुग जीयऽ भइया
मेहनतकस किसनमां हो
अमर हो सीमा के जवान
मोतिया झरइत रहइ
देशवा के मटिया ई
दुसमन के लिलकइ परान
कि बगिया में छहा छिट
उतरइ टुह-टुह राँगल ढाँगल नयका विहान।