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राजा मुखिया बेङ / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'
Kavita Kosh से
साप छुछुंदर के झगड़ा में
हौलै गारा-गारी
तू-तू में-में होतें-होतें
होलै मारा-मारी।
देखी-देखी हंगामा में
फटलै रे पैजामा
कोईये दारा किंग कांग रे
कोईये बनलै गामा।
चूहा भैया समझावौ लेॅ
बीचें दौड़ी आवै
भितरे-भीतर लाल लड़ावै
बुनियाँ खूब झड़ाबै।
जाय पहुँचलै मुखिया सें-
करबाबै लेॅ पंचायत
अपनोॅ-अपनोॅ मुद्दा के
राखलके दोन्हू शिकायत
पूछ-ताछ करत्हें-करत्हें रे
बढ़ि गेलै तकरार
अपनोॅ-अपनोॅ मानै सें-
करकै सभें इनकार।
होतैं-होतैं आय पहुँचलै
मारपीट के नौबत
गरजी-गरजी दोनों तौलै
अपनों-अपनों दौलत।
बढ़लै ई झगड़ा मुखिया
बेङोॅ के भेलै बाहर
दौड़ी केॅ तबेॅ आय पहुँचलै
मुखिया पासें नागर।
लपकी तबेॅ पकड़कै रे
मुखिया राजा के टेंग
क-कें करतें, दोॅम तोड़कै
राजा मुखिया बेंङ।