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राधा बिन कान्हा / अरुण हरलीवाल

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राधा बिना कान्हा हइ आधा, सखी रे!
राधा बिना कान्हा हइ आधा।

वइसे तो किसना के सारा जग प्यारा;
राधा मगर सब्भेला जादा, सखी रे!
राधा बिना कान्हा हइ आधा।

राधा के नेह बनल संबल किसन के;
चीर देलक कंसा के लादा, सखी रे!