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रॉकेट एक चलाऊँगा मैं / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
रॉकेट एक चलाऊँ मैं,
अंबर तक उड़ जाऊँगा मैं।
तारेां को छूँ आऊँगा मैं,
सबसे हाथ मिलाऊँगा मैं।
कैसे अपने चंदा मामा,
कैसी उनकी घोड़ी श्यामा!
बैठ उसी पर आसमान में,
दिखलाते हैं हर पल ड्रामा।
सूरज दादा हैं गुस्सैल,
उनके साठ हजार बैल।
उनसे खेती करवाते हैं,
ना हँसते, ना मुसकाते हैं।
आऊँगा जब उड़कर नीचे
किस्से खूब सुनाऊँगा मैं,
रॉकेट एक चलाऊँगा मैं!