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वन्दे मातरम / कविता कानन / रंजना वर्मा

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एक ही मंत्र
जिसने देश को
सदियों की
दासता से
दिलायी मुक्ति
जो बसा हुआ है
हर देशभक्त भारतीय के
रोम रोम में
बहा रहा है
संजीवनी
बना अमृत - धार
मुक्ति का आधार
करता प्राणों में संचार
नव स्फूर्ति
नवीन अनुरक्ति का
देश के प्रति
वंदे मातरम ।
नमन देश को
नमन मा भारती को
नमन जननी
जन्मभूमि को ।
पुकारिये सब
मेरे साथ
करिये उद्घोष
गूँज उठे दिग दिगन्त
वंदे मातरम
वंदे मातरम ।