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तेरे बगैर लगता है, अच्छा मुझे जहाँ नहीं / श्रद्धा जैन
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06:43, 27 दिसम्बर 2010
अंजान वो रहा मगर, शायद उठा धुआँ नहीं
कुछ
बात
तो ज़रूर
बात
थी, मिलने के बाद अब तलक
खुद की तलाश में हूँ मैं, लेकिन मेरे निशाँ नहीं
Shrddha
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