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Kavita Kosh से
अंजान वो रहा मगर, शायद उठा धुआँ नहीं
कुछ बात तो ज़रूर बात थी, मिलने के बाद अब तलक
खुद की तलाश में हूँ मैं, लेकिन मेरे निशाँ नहीं