भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
"[[मेरा गाँव / केदारनाथ अग्रवाल]]" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))
आकर्षण आने से पहले यौवन ढलता।
रूप अविकसित विवश पराया होकर पलता॥
कामुक जन निर्लज्ज थिरकते भ्रू-भंगों पर॥
कुल-भूषण कुल-दूषण बनते मान गँवाते।