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{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
|संग्रह=जब भी वसन्त के फूल खिलेंगे / आलोक श्रीवास्तव-२
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
जब सागर पर सूर्य डूबा
एक लहर जब
किनारे की चट्टान पर टूटी
तब याद आयी
वह लड़की
सागर पर डूबे सूरज का
रंग था जिसकी आँखों में
और टूटती लहरें
भीतर कहीं
दूर मन में ।
</poem>
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|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
|संग्रह=जब भी वसन्त के फूल खिलेंगे / आलोक श्रीवास्तव-२
}}
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<Poem>
जब सागर पर सूर्य डूबा
एक लहर जब
किनारे की चट्टान पर टूटी
तब याद आयी
वह लड़की
सागर पर डूबे सूरज का
रंग था जिसकी आँखों में
और टूटती लहरें
भीतर कहीं
दूर मन में ।
</poem>