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ये वो शगुन के आखर हैं - जो कुर्मंचालीय संस्कृति में हर शुभ कार्य में बांचे जाते हैं. कुर्मांचल की परम्पराएं अनंत काल से शंख - घंट की ध्वनि एवं भरे हुए कलश को शगुन का पर्याय मानती आई हैं . कुल वधुओं के अखंड सौभाग्य एवं उनकी हरी - भरी गोद के प्रति अपनी समस्त शुभकामनाएं संजोए है यह शगुन गीत
 
 
शकूनादे शकूनादे काजये,
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